जैसे परीक्षा के दिन निकट आने पर बालक अधिक पढ़ाई करते हैं वैसे ही सेवक को भी चाहिये कि जैसे-जैसे जीवन के दिन व्यतीत होते जायें, वैसे-वैसे अभ्यास के लिए समय और पुरुषार्थ बढ़ाते चलें।
—Quote 5
यदि कोई तुम्हारे विचारों के अनुकूल नहीं चलता तो क्रोध न करो। सोचो कि तुम अपने मालिक की मौज के कितना अनुकूल चलते हो, पहले अपने आपको अनुकूल बनाओ।
—Quote 4
मन भजन में न लगे तो बार-बार लगाओ। एक दिन ऐसा आयेगा कि मन भजन के अतिरिक्त अन्य किसी कार्य में लगेगा ही नहीं।
—Quote 3
जिस मन रूपी शत्रु ने कई जन्मों में तुम्हें धोखा दिया है, उस पर विश्वास न करो। दृढ़ विश्वास करके गुरु-शब्द से उस पर विजय प्राप्त कर लो।
—Quote 2
घण्टा, दो घण्टे, तीन घण्टे भजन करके शेष समय सेवा, सत्संग, स्वाध्याय में अपने मन को लगा कर मालिक से दिल की तार जोड़े रखोगे तो आत्मिक शांति बनी रहेगी।